*लाल चूड़ियों से सजे हाथ*

परात में पानी से आटे को गूंधते,
एक के बाद एक लोईयां बनाते,
कभी न थकते,कभी न रुकते,
लाल-लाल चूड़ियों से सजे नाजुक से हाथ।

घर भर के लिए गोल-गोल  रोटियां बेलते,
चूल्हे की लाल-लाल आँच पर रोटियां पलटते,
कभी न थकते,कभी न रुकते,
लाल-लाल चूड़ियों से सजे नाजुक से  हाथ।

चकला-बेलन पर पेंडुलम की तरह डोलते,
तवा-चिमटे पर कलाबाजियां दिखाते,
कभी न थकते,कभी न रुकते,
लाल-लाल चूड़ियों से सजे नाजुक से  हाथ।

परथन लगाकर रोटियों को हवा में तोलते,
आंच पर उलट-पुलट कर उन्हें फुलाते,
कभी न थकते,कभी न रुकते,
लाल-लाल चूड़ियों से सजे नाजुक से  हाथ।

माथे पर छलक आये पसीने को पोंछते,
प्यार से सबकी थाली में रोटियां परोसते,
कभी न थकते,कभी न रुकते,
लाल-लाल चूड़ियों से सजे नाजुक से  हाथ।

अपने लिए भले हीथक कर रूक जायें,
पर अपनों के लिए कभी न थकते,
लाल-लाल चूड़ियों से सजे ये नाजुक से  हाथ।

चिरंजीव